खुले केश अशेष ...
खुले केश अशेष शोभा भर रहे
पृष्ठ ग्रीवा बाहु उर पर तर रहे !
वासना की मुक्ति, मुक्ता त्याग में तागी
(प्रिय) यामिनी जागी !
——————————निराला
खुले केश अशेष शोभा भर रहे
पृष्ठ ग्रीवा बाहु उर पर तर रहे !
वासना की मुक्ति, मुक्ता त्याग में तागी
(प्रिय) यामिनी जागी !
——————————निराला
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