आज के ‘अंधेरे में’
आज के ‘अंधेरे में’ एक स्त्री जब-जब लिखेगी सभ्यता, संस्कृति के उजले मुँह का ढोल पीटने वालों के मुँह पर बलात्कार लिखेगी।
... मर गयी संस्कृति, सभ्यता मर गयी, मठाधीश बच रहे।
आज के ‘अंधेरे में’ एक स्त्री जब-जब लिखेगी सभ्यता, संस्कृति के उजले मुँह का ढोल पीटने वालों के मुँह पर बलात्कार लिखेगी।
... मर गयी संस्कृति, सभ्यता मर गयी, मठाधीश बच रहे।
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