हमारी बारी में तो ना हुआ...
हमारी बारी में तो ना हुआ
हम फ़ेल होते-होते बचे मैथ्स में। मैथ्स का पेपर देने का वो भयानक मंज़र आँखों से जाता नहीं। इस ख़बर को पढ़-सुन ग़ुस्सा आ रहा बहुत ज़ोर से।
दो दिन मैं हनुमान जी की शरण में बैठी यही जाप करती रही‘कौन से संकट मोर ग़रीब को, जो तुमसे नहीं जात है टारो
बेगी हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो’
बताओ, कित्ती नाइंसाफ़ी है आज के पढ़ने वाले बच्चों के साथ भी और पहले के हम मैथ्स झेलने वालों के साथ भी।
29.03.2018 Facebook पोस्ट से
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