मन सेमल ...
मन सेमल दहकता है, झरता है …
बस एक भाव है जो झरे सेमल को देख उतरा मन में.... किसी की मोहब्बत में ख़ुद उस जैसा हो जाना या नज़र भर उसे साथ लिए जीना। सेमल तो है ही... अलबेली का मन मिलता है अलग-अलग मौसम रास्ते खिलने वाले सब फूलों से।बाग़ीचों में सम्भाल-सहेज कर उगाए गए फूलों से अधिक प्रिय हैं उसे मौसम की करवट पर खिलने, लौट जाने वाले फूल। धरती को नए बीज और पंछियों को उल्लास देने वाले इन फूलों से मिलता है उसका मन। जब उनके खिलने का स्वागत मन से किया तो उनको विदा देना भी तो सीखना चाहिए।
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