अलबेली की गणगौर






आज बड़ी गणगौर है : बड़ी गणगौर की राम-राम सबको 

गणगौर आज विदा ले रही हैं।घर से कोई जाता है तो घर थोड़ा सूना-सूना तो लगता है ना। मुझे भी ऐसा ही लग रहा है।इतने दिन त्योहार की रौनक़ रमी रही। रोज़ घर में फूल आते, दूब आती। चंदन से घर महका-महका रहा।आज मेला उठ रहा, कुछ ख़ाली ख़ाली सा रहेगा दो एक दिन। फिर वही काम, वही दुनिया, वही इंतज़ार बच रहेगा।

दुनिया को रंगने के लिए अपने भीतर भी कुछ रंग बचाकर रखने होंगे ना।

ये त्योहार ना हो तो उदासी, क्रूरता और सच से लड़ते लड़ते दम ही निकल जाए अपना। थोड़ा उत्साह, थोड़ा रंग, थोड़े से गीत लिए हर साल आती रहें गणगौर, बस यही दुआ।

( 20 मार्च 2018, Facebook वॉल में प्रकाशित )

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