चलते-चलते
बीच का रास्ता कहीं नहीं होता
____________________________ पाशसरकार जब कह रही हो ‘किसानों की माँगे मान ली गयी हैं और बीच का कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा तब....
रिसते घावों में टीस-सी होती है। पाश तुम्हारी बात याद है।
ये दूर तक आकर बहकावों से जी बहलाने का समय नहीं।
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